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दादी / अमरेन्द्र
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दादी अस्सी सालोॅ के
पकलोॅ-पकलोॅ बालोॅ के
अँगुरी-अँगुरी काठी रङ
देह-हाथ सनसनाठी रङ
चोरोॅ के छै बड़का डोॅर
छोड़ै नैं जल्दी छै घोॅर
बोली बोलै रुकी-रुकी
कोसो बूलै झुकी-झुकी
दादी माय केॅ सूझै कम
ई बातोॅ केॅ बूझै कम ।