गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
माय / सकलदेव शर्मा
24 bytes removed
,
02:46, 14 जून 2016
हमरोॅ अंतस में बैठलोॅ
जस के तस आइयो
सांस ले रहलोॅ छै
द्य
|
देह नै छै तेॅ कि
बिना देह के
उ हमारा मेॅ जिंदा छै
द्य
|
जा तक हम्मे जिंदा छियै
हमरोॅ संग हमरोॅ
माइयो जिंदा रहतै
द्य
|
जन्मौती के पैहिने
Rahul Shivay
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,612
edits