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{{KKRachna
|रचनाकार=शरद कोकास
|संग्रह=गुनगुनी धूप में बैठकर / शरद कोकास
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नाजायज़ प्रेम से
वे ईर्ष्या करते होंगे
वे चाहते होंगे
मै उसमें झाँक कर
अपना चेहरा देखना चाहता हूँ
बादलों के कहकहे