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Kavita Kosh से
चिड़िया हो तुम और मैं हूँ पेड़,
सूरज हो तुम और मैं हूँ बर्फ़ ,
तुम हो दिन और मैं हूँ सपना I।
रात में मेरे सोते हुए मुख में से
आवाज़ सुन्दर है उसकी, पंख हैं रंगीन उसके
वह तुम्हारे लिए प्यार भरा गीत गाती है
वह तुम्हारे लिए मेरा ही गीत गाती है II।।
'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : प्रतिभा उपाध्याय'''
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