भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>
हुआ सबेरा ऑंखें आँखें खोलो,
बुला रहीं हैं चिड़ियाँ बोलो
कहता है पिंजड़े से तोता,