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कौल करार विसारत हो, कित लागत बात वरावरु रे।आदि जो एक सो अन्तहुँ एक जपो कलिमाँ तिन एक गहो।मालिक नाम गयंदहि छोड़िहिन्दु मलेछ वलेछ नहीं, बखानत पाट पटम्बरु रे॥कछु दोपट जो पलरायट हो॥संपति है वन संपति ढेरुधर्म इमान जमात सबै, कहो कोउ लेइ गयो वपुरे।गुरु पीर पुकारि 2 रहो।धरनी नर-देह कहाफल जोसबको समुझाइ कहै, नहि जानु अलाह अकब्बरु रे॥11॥भ! क्यों न ”सलाम-अलैक“ कहो॥12॥
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