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यह हक़ीक़त कि ख़्वाब है कोई
सामने बेनक़ाब है कोई
रहमतों का हिसाब है कोई
चाँद पर छाये ऐसे बादल हैं
रुख़ पे जैसे नक़ाब है कोई ज़िन्दगी क़ैद-ए-बा मशक्कत हैइससे बढ़कर अज़ाब है कोई शर्म से पलकें झुकती जाती हैं आँख में भी हिजाब है कोई बन्दगी में तेरी किफायत क्योंरहमतों का हिसाब है कोई एक मुफलिस की लूटना इज़्ज़तइससे बढ़कर अज़ाब है कोई जिसकी मन्नत न हो यहाँ पूरी ऐसा क़िस्मत खराब है कोई रोल्स रायस में कचरा ढ़ोता था देखा ऐसा नवाब है कोई
जिसको देखो 'रक़ीब' पढ़ता है
जैसे चेहरा किताब है कोई
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