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यह हक़ीक़त कि ख़्वाब है कोई
सामने बेनक़ाब है कोई
ये हक़ीक़त या ख़्वाब है कोई तसव्वुर में हुस्ने दोशीज़ा सामने बेनक़ाब या पुरानी शराब है कोई
उसकी मदहोश कुन नज़र है या भेजना कर के सैकड़ों पुर्ज़े मदभरी सी शराब ख़त का यह भी जवाब है कोई
प्यार नज़रों से छलका पड़ता ज़िन्दगी क़ैद-ए-बामशक़्क़त है इस अदा का जवाब इससे बढ़कर अज़ाब है कोई
जानलेवा बन्दगी में तेरी अदाओं सेबहका बहका जनाब है कोई  वक़्त से पहले ही संभल जाएकरता आदत ख़राब है कोई  जिससे नीयत ख़राब हो जाए लाता ऐसा शबाब है कोई  मुझको लगता नहीं है ऐ ख़ालिक़किफ़ायत क्यों
रहमतों का हिसाब है कोई
 
मेरे ख़त के जवाब में गाली
यार ये भी जवाब है कोई
चाँद पर छाये ऐसे बादल हैं
रुख़ पे जैसे नक़ाब है कोई  ज़िन्दगी क़ैद-ए-बा मशक्कत हैइससे बढ़कर अज़ाब है कोई  शर्म से पलकें झुकती जाती हैं आँख में भी हिजाब है कोई  बन्दगी में तेरी किफायत क्योंरहमतों का हिसाब है कोई  एक मुफलिस की लूटना इज़्ज़तइससे बढ़कर अज़ाब है कोई  जिसकी मन्नत न हो यहाँ पूरी ऐसा क़िस्मत खराब है कोई रोल्स रायस में कचरा ढ़ोता था देखा ऐसा नवाब है कोई
जिसको देखो 'रक़ीब' पढ़ता है
जैसे चेहरा किताब है कोई
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