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सामने बेनक़ाब है कोई
है तसव्वुर में हुस्ने दोशीज़ा
या पुरानी शराब है कोई
ख़त का यह भी जवाब है कोई
ज़िन्दगी क़ैदक़ैदे-एबा-बामशक़्क़त मशक़्क़त हैइससे बढ़कर अज़ाब है कोई ?
बन्दगी में तेरी किफ़ायत क्यों
चाँद पर छाये ऐसे बादल हैं
रुख़ पे जैसे नक़ाब है कोई है सरापा शबाब से लबरेज़ माह रुख़ गुलाब है कोई
जिसको देखो 'रक़ीब' पढ़ता है
जैसे चेहरा किताब है कोई
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