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Kavita Kosh से
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आज माहौल दुनिया का खूँरेज़ है
है हलाकू कोई, कोइ कोई चंगेज़ है
गैर के रंग में, रंग गए लोग सबकुछ आज हर भारती, लगता रूह में बस गया जिनके अँगरेज़ है
गौर से देखिये गुलशने हुस्न की
रंगरेज़ी पे आमादा रंगरेज़ है
वक़्त है कर ले तौबा ख़ुदा से 'रक़ीब' सागरे साग़रे ज़िंदगी तेरा लबरेज़ है
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