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<poem>
(1)
फट गयी है
आसमान की झोली
धरा यूँ बोली

(1)
फट गयी है
आसमान की झोली
धरा यूँ बोली

(2)
बादल छाये
धरती पर ऐसे
मोहिनी जैसे

</poem>
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