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सावन (हाइकु) / अशोक कुमार शुक्ला
Kavita Kosh से
(1)
फट गयी है
आसमान की झोली
धरा यूँ बोली
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फट गयी है
आसमान की झोली
धरा यूँ बोली
(2)
बादल छाये
धरती पर ऐसे
मोहिनी जैसे