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पर्वत / बैरागी काइँला
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बैरागी काइँलाका कविताहरु / बैरागी काइँला
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घरभित्र पनि सिरान ताला उक्लिँदा
डाँडा-डाँडा अग्लो डिल भरेङको प्रायजसो म उक्लिन्छु
Sirjanbindu
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