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16:14, 26 अगस्त 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अर्चना कुमारी
|अनुवादक=
|संग्रह=पत्थरों के देश में देवता नहीं होते / अर्चना कुमारी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
जाने किस लहर से
किनारों पर जम रहे हैं
खामोशियों के नमक
डूबती बातें
कोशिश में है तैरने की
कोई आहट हो
और नमक पिघले
पसरी हुई तन्हाईयों से
शोर भले होंगे।
</poem>
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