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<poem>
बाँसुरी यदि हो सके तो
मत बजाना ।बजाना।
आग चूल्हे में सिमिट कर
सो गई है
सो गया है ऊब कर दिन
मत जगाना ।जगाना।
हाथ ले टूटे सितारे
आँचल भिगोती
हो सके तो दीप की लौ
मत बुझाना ।बुझाना।
साँस लेती साँस तो
साथ खंजर
मौन मन को हो सके तो
मत बुलाना ।बुलाना।
</poem>
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