गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
बाँसुरी यदि हो सके तो / कल्पना 'मनोरमा'
5 bytes removed
,
06:59, 9 सितम्बर 2017
<poem>
बाँसुरी यदि हो सके तो
मत
बजाना ।
बजाना।
आग चूल्हे में सिमिट कर
सो गई है
सो गया है ऊब कर दिन
मत
जगाना ।
जगाना।
हाथ ले टूटे सितारे
आँचल भिगोती
हो सके तो दीप की लौ
मत
बुझाना ।
बुझाना।
साँस लेती साँस तो
साथ खंजर
मौन मन को हो सके तो
मत
बुलाना ।
बुलाना।
</poem>
Rahul Shivay
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,612
edits