भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश श्रीवास्तव |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दिनेश श्रीवास्तव
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कल शाम दिवाली थी.
और आज सवेरा होते ही
चारदीवारी के बाहर के बच्चे
आये बटोरने,
पटाखों के खोल.
और फुलझड़ियों की सलाईयाँ.
अब वे उसमें आग लगा
करेंगे प्रतीक्षा
आतिशबाजी के शुरू होने की.
जैसे जे. पी. ने किया था
इंतज़ार
संपूर्ण क्राँति का.
(प्रकाशित, कथा बिम्ब, अक्टूबर १९७९)
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=दिनेश श्रीवास्तव
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कल शाम दिवाली थी.
और आज सवेरा होते ही
चारदीवारी के बाहर के बच्चे
आये बटोरने,
पटाखों के खोल.
और फुलझड़ियों की सलाईयाँ.
अब वे उसमें आग लगा
करेंगे प्रतीक्षा
आतिशबाजी के शुरू होने की.
जैसे जे. पी. ने किया था
इंतज़ार
संपूर्ण क्राँति का.
(प्रकाशित, कथा बिम्ब, अक्टूबर १९७९)
</poem>