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03:41, 17 अक्टूबर 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=टोमास ट्रान्सटोमर
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<Poem>
फोन की एक बातचीत छलक गई रात में
और जगमगाने लगी शहर और देहात के बीच
होटल के बिस्तर पर करवटें ही बदलता रहा उसके बाद
सूई की तरह हो गया मैं किसी दिशा सूचक यंत्र की
जिसे लिए जंगलों से होकर भाग रहा हो कोई दौड़ाक
धड़धड़ाते हुए दिल के साथ
'''(अनुवाद : मनोज पटेल)'''
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