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07:10, 20 अक्टूबर 2017 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुरेश चंद्रा
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
तुम्हारी आँखों की लिखावट
तुम्हारी आवाज़ का सौंधापन
इनमे लिपटा
तन्हाई के ताखे से, चुपचाप उतरता हूँ
मैं तुम्हारा छुआ ख़त हो जाता हूँ
सिहरता हूँ
बारहा खुद की सिसकियाँ पढ़ता हूँ
देर तलक़ फिर-फिर तुम सा महकता हूँ
</poem>
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