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अपराध-बोध/ रामनरेश पाठक

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|संग्रह=मैं अथर्व हूँ / रामनरेश पाठक
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<poem>
सत्य, प्रकाश और अमृत से डरे
लोगों से आपोहित काल
असत्, तम और मृत्यु के
कोलाहल से विद्ध दिक्
प्रार्थना और युद्ध के बीच
प्रवरण अनिवार्य है अब
और चुप रह जाना
महान अपराध
</poem>
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