दिन राते अयोध्या से बरात जकपुर में कतहूँ एक रात दू रात पड़ाव पर जाए। छपरा में छव रात पड़ाव पर गइल।
दोहा:
एक रात दुई दिवस, जहँ, तहँ करत अड़ाव।
छपरा नाम परल तबहीं से, छव दिन पड़ल पड़ाव॥
कहत ‘भिखारी’ नाई चलत रहतिया, राम-राम, हरे-हरे।
मउज होखत अलबतिया, राम-राम, हरे-हरे॥
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