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Kavita Kosh से
तो मैं नहीं समझता
कि आदमी का चेहरा साफ साफ़ दिखता है
और प्रेमी भी
जो बचना चाहते हैं तेज तेज़ रौशनी से
जिनके लिए आंख आँख की चमक भर रौशनी ही