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{{KKCatGadhwaliRachna}}
<poem>
नारी अपडु <ref>अपना</ref> चरित्र निर्माण करू
सामाजिक काम करू , धाण करू
तीलू रौतेली सी नारि , रामि बौराणी सी ब्वारी
मुल्क मा अपड़ि अलग पछ्याण करू।
गौरा देवी अर बछेंद्रीपाल जन <ref>जैसे</ref>बणिक <ref>बनकर</ref>आजबार -बार नयु कीर्तिमान चैंदु<ref>चाहता हूँ</ref>जख <ref>जहां</ref> दया धरम करम संस्कार पैदा होंदामीतैं <ref>मुझको</ref>बगीचा सो बगवान चैंदू।
आज त आतंकवाद बणी भुला
मीतैं बगीचा सो बगवान चैंदू।
</poem>
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