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हम उनका ना कोई एक जात नहीं दोई.
लाग रिपन सोई याते भनत 'भिखारी' है॥
 
वार्तिक:
 
कुछ नाता समझ करके हम भी कुछ दुनियादारी दिल्लगी कर देते हैं। मालूम पड़ता है कि मेरी शिकायत या गारी छापनेवाले मेरे किसी जन्म के नातेदार लगते हैं; क्योंकि गाँव के एक या दो कोस के भीतर का आदमी सब हाल जानता है, लेकिन दस-पन्द्रह कोस का आदमी बिना कोई नाते का गाली नहीं दे सकता है।
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