भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
(9)
सांग:– गोपीचंद-भरथरी & (अनुक्रमांक – 25 )
'''गुरू की बाणी आई, याद सब चेल्या नै,''''''मन मैं करया विचार ।। टेक ।।'''
उस नगरी मैं जाके अलख जगाईयों, जड़ै धन बिन हो दातार,
हलवा पूरी खीर मिठाई, ना चाहिए अन्न -आहार।।
कुएं बावडी ताल सरोवर, ना बहती हो कोए धार,