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आज से कल बेहतर होगा। क्या करें स्वावलम्बन के लिए? चरखा चलाइये। अपना कोई आखिर होगा। क्या करें सद्आचरण के लिए? चरखा चलाइये।
धरती पर जन्मे नियम विरोधी मानसिकता और मरेमन में दासताऐसा घर और किधर होगा। क्या करें मन जागरण के लिए? चरखा चलाइये।
कांटों के पथ पर चल लेंगेआदमी बौना हो गया, समस्याएँ सुरसा-सीयदि आगे फूल नगर होगा। क्या करें हम नियंत्रण के लिए? चरखा चलाइये।
तुमसी कोई नदिया होगीपोथियों के पृष्ठ रीते जैसे जीवन आजकलहमक्या करें आत्म-सा कोई सागर होगा। चिंतन के लिए? चरखा चलाइये।
दर्पण में कचनार खिलेंगेहिन्दू, हिन्दी, हिन्दुस्तान और हक के वास्तेआँखों में गुलमोहर होगा। क्या करें हर बांकपन के लिए? चरखा चलाइये।
कह लेंगे जब एक ग़ज़ल हमवर्ण कृपण, ओछे शब्द, अनुभूतियाँ हैं खोखलीएक क्या करें नव-व्याकरण के लिए? चरखा चलाइये।  शांति होगी इस धरा पर या कि अराजकता 'कमल भी अक्षर होगा। ' क्या करें मत-आकलन के लिए? चरखा चलाइये।
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