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|रचनाकार=रशीद हुसैन|अनुवादक=अनिल जनविजय|संग्रह=फ़िलीस्तीनी कविताएँ / रशीद हुसैन
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मुझे एक रस्सा दो
एक हथौड़ा
और एक लोहे का सरिया
ताकि मैं बना सकूँ फाँसी का तख़्ता
मेरे लोगों में
शेष है अभी एक समूह
उदास चेहरे लिए घूमता है जो
लज्जित करता है हमें
आओ! उनकी गरदनें कस दें
हम अपने बीच
कैसे रख सकते हैं उन्हें
जो चाटते हैं हथेली
हर उस किसी की
जिससे भी वे मिलते हैं
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