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12:49, 12 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशाकर
|अनुवादक=
|संग्रह=ककबा करैए प्रेम / निशाकर
}}
{{KKCatAngikaRachna}}
<poem>
घटनाकें घटित होइते
बदलि जाइत अछि परिस्थिति
मौसम मिजाज
आ बसातक दिशा।
घटना लोककें करैत अछि सचेत
बनबैत अछि पकठोस।
घटना
कखनो मायक पार्ट अदा करैत अछि
कखनो बाबूक
कखनो मास्टर साहेबक।
घटना
धँसि जाइत अछि
मोनमे
वाण जकाँ
बेधैत रहैत अछि
सभ दिन...।
</poem>