Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान' |अनुवा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
|अनुवादक=
|संग्रह=तुमने कहा था / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
फिर मेरे दिल ने चोट खाई है
उस सितमगर की याद आई है

गुल फसुर्दा कली मलूल-ओ-उदास
कैसे कह दें बहार आई है

साज़े दिल पर ही उम्र भर हम ने
दस्ताने-हयात गाई है

बे ख़बर है वो हाल से मेरे
और यहां लब पे जान आई है

कैसे शिकवा करें तेरे ग़म का
रौशनी इस से फ़न ने पाई है।
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
3,998
edits