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05:15, 29 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[अजय अज्ञात]]
|अनुवादक=
|संग्रह=इज़हार / अजय अज्ञात
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
अंतर में विश्वास जगाओ
उम्मीदों के दीप जलाओ
जीते जी हिम्मत मत हारो
बाधाओं से जा टकराओ
संयम और समझ से अपनी
हर मुश्किल आसान बनाओ
कर लो दूर उदासी मन की
होठों पर मुस्कान सजाओ
पीछे मुड़़ कर मत देखो तुम
जीवनपथ पर बढ़ते जाओ
कोई मौका मत चूको तुम
हर अवसर का लाभ उठाओ
</poem>