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06:05, 29 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[अजय अज्ञात]]
|अनुवादक=
|संग्रह=इज़हार / अजय अज्ञात
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
राम जाने ये क्या हो गया
हादसा फिर नया हो गया
जंग जीतोगे कैसे भला
पस्त जब हौसला हो गया
रौशनी जब जुदा हो गई
तन से साया जुदा हो गया
भावना के सुमन जो खिले
ये समां ख़ुशनुमा हो गया
मुस्कुराता था जो हर घड़ी
आज क्यूं ग़मज़दा हो गया?
</poem>