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{{KKRachna
|रचनाकार=अजय अज्ञात
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|संग्रह=जज़्बात / अजय अज्ञात
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<poem>
एहसासे कमतरी को न यूँ दिल में पालिए
हिम्मत से काम लीजिये ख़ुद को सँभालिए

जो ख़ूबियाँ हैं आप में पहचानिए उन्हें
हर वक़्त ही न ख़ुद में यूँ कमियाँ निकालिए

अच्छा नहीं है रोकना बह जाने दो इन्हें
गुस्से ़ की आंच पे न यूँ आँसू उबालिए

तालाब से, न झील से हासिल हो पाएगा
जो रत्न चाहिए तो समंदर खँगालिए

‘अज्ञात’ कुछ भी काम असंभव नहीं यहाँ
सूईं न हो तो काँटे से काँटा निकालिए
</poem>
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