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08:03, 30 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनु जसरोटिया
|अनुवादक=
|संग्रह=ख़ुशनुमा / अनु जसरोटिया
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<poem>
फ़़ोन पर उन से मुलाक़ात हुआ करती है
बातों बातों में बसर रात हुआ करती है
लोग सूखे से तड़पते हैं मगर अपने यहां
रात-दिन अश्कों की बरसात हुआ करती है
जिन पे बरसात हसीं तौहफ़ों की होती थी कभी
उन पे अब ता’नों की बरसात हुआ करती है
भूल कर भी न कभी प्यार किसी से करना
ज़िन्दगी वाक़िफ़ें-सदमात हुआ करती है
जब भी लिखती हूं ग़ज़ल कोई नई तो उसकी
लफ़्ज़े-अल्लह से शुरुआत हुआ करती है
रु-ब-रु जिन से मुलाक़ात हुआ करती थी
उन से ख़ाब्बों में मुलाक़ात हुआ करती है
</poem>