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10:03, 30 सितम्बर 2018 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वसीम बरेलवी
|अनुवादक=
|संग्रह=मेरा क्या / वसीम बरेलवी
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
कभी लफ़्ज़ो से गद्दरी न करना
ग़ज़ल पढना, अदाकारी न करना
जो मेरी ज़िन्दगी के साथ की है
वही मरने पे फ़नकारी न करना
मेरे बचचों के आंसू पोंछ देना
लिफाफे का टिकट जारी न करना
इलाही ख़ाक तो कर देना, लेिकन
किसी शोले को िचनगारी न करना
</poem>