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कभी लफ़्ज़ों से गद्दारी न करना / वसीम बरेलवी
Kavita Kosh से
कभी लफ़्ज़ो से गद्दरी न करना
ग़ज़ल पढना, अदाकारी न करना
जो मेरी ज़िन्दगी के साथ की है
वही मरने पे फ़नकारी न करना
मेरे बचचों के आंसू पोंछ देना
लिफाफे का टिकट जारी न करना
इलाही ख़ाक तो कर देना, लेिकन
किसी शोले को िचनगारी न करना