गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अपनी ज़िल्लत मेरे सर दे मारी भी / जंगवीर सिंंह 'राकेश'
3 bytes added
,
07:08, 3 अक्टूबर 2018
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
Jangveer Singh
761
edits