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12:16, 3 अक्टूबर 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=जंगवीर सिंंह 'राकेश'
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|संग्रह=
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<poem>
अगर तुम बारीकियों को पकड़ रहे हो
तो सीख जाओगे एक दिन !!
हौसले से मंजिल पर बढ़ रहे हो
तो जीत जाओगे एक दिन !!
समय की हवा उस रूख में बहने लगेगी
जिस दिशा में तुम होगे !
खुशियों की परछाईयाँ पीछे चलने लगेगीं
जिस जगह पे तुम होगे !
साफ नीयत से काम करोगे
तो काम भी तुम पर मरेंगे !!
अगर ज़मी-आसमां एक कर रहे हो
तो जीत जाओगे एक दिन !!
ख़ामोशी के संग भी तुम
ख़ामोश मत रहना !!
हुस्न के नशे में हर दम
मदहोश मत रहना !!
अपनों को गैर मत करना
गैरों से बैर मत करना !!!!
अपनी मुश्किलों से जो लड़ रहे हो
तो जीत जाओगे एक दिन !!
हुस्न इक निकासी है
आत्मज्ञान सर्वव्यापी है
ये बात जो समझ रहे हो
तो जीत जाओगे एक दिन !!
</poem>