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21:30, 20 दिसम्बर 2018 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=तोरनदेवी 'लली'
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उनपर ही जीवन न्योछावर, जिनका उज्ज्वल पुण्य-प्रताप।
जिन्हें न बेध सका जगती का दुःख, शोक, दारुण संताप॥
जिनकी बाट जोहती आशा, जिनसे शंकित होात पाप।
जिनके चरणों पर श्रद्ध से, नत मस्तक हो जाता आप॥
उनकी ही सेवा में मेरा, यह संदेश सुना देना-
यदि जाने पाऊँ तो उनके, चरणों तक पहुँचा देना॥
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