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16:02, 15 जनवरी 2019 {{KKGlobal}}
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<poem>
बिजली-सी कजली की धुन सुन,
विरहन-सी दुलहन तज ठनगन,
निकली आँगन में बनठन कर,
जाना जब ननदी का वीरन-
परदेसी पाहुन आया है;
अभी अभी सावन आया है।
</poem>