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हमें प्रकाश चाहिए , हमें प्रकाश चाहिए ,हमें प्रकाश चाहिए, नया प्रकाश चाहिए ।चाहिए।
जो घोर अन्धकार में नयी किरन को घोल दे,
जो नींद से मुंदे हुए सहस्त्र नेत्र खोल दे, जो मौन है उन्हें ज्वलन्त दर्पदीप्त बोल दे, जो डग यहाँ रुके हुए उन्हें सहर्ष डोल दे,
जो ला सके नया विहान वो उजास चाहिए,
हमें नवीन सूर्य का नया उजास चाहिए ,
हमें उजास चाहिए , नया उजास चाहिए ।हमें प्रकाश चाहिए , नया प्रकाश चाहिए ।।
कि जो विलासपूर्ण जिन्दगी के छोड़ मोह को,
स्वदेश के लिए वरे विराट राजद्रोह को,
करे न भूल कर जो उफ़ , भरे आह-ओह को,
कि जो समान मानता हो गेह और खोह को
हमें असीम आस का नया हुलास चाहिए ,
हमें हुलास चाहिए, नया हुलास चाहिए ।
हमें प्रकाश चाहिए , नया प्रकाश चाहिए ।।
कि जो स्वदेश की गुहार पर तुरन्त आ सके,
जो दे सके नया विधान वो सुभाष चाहिए,
हमें प्रदीप्त प्राण का नया सुभाष चाहिए ,
हमें सुभाष चाहिए , नया सुभाष चाहिए ।हमें प्रकाश चाहिए , नया प्र काश चाहिए ।।
कि जो स्वदेश के लिए स्वदेह को घुला सके,
जो व्योम को कंपा सके वो अट्टहास चाहिए .
हमें भावेश रूद्र का महाट्टहास चाहिएमहाट्टहास चाहिए , महाट्टहास चाहिए ।
हमें प्रकाश चाहिए , नया प्रकाश चाहिए ।।
जिनके कुकर्म से स्वदेश आज खंड - खंड है, नीच - चोर बोलता अभीत अंड - बंड है
जो राम के नहीं हराम के प्रचण्ड भंड है
जो रीति - नीति से सदा अविज्ञ जंड-शंड है
उनको करे द्विखंड जो वो सुर्यहास चाहिए
विराट देश को , विराट सूर्यहास चाहिए
कि सुर्यहास चाहिए , सुर्यहास चाहिए ।चाहिए।हमें प्रकाश चाहिए, , नया प्रकाश चाहिए ।।चाहिए।।
जो आज ढोंग से अरे, बने हुए महान हैं,
जो है प्रचण्ड भ्रष्ट , किन्तु देश में प्रधान है ,
जिनके कठोर हाथ में अपंग संविधान है,
जिनसे स्वदेश आज हो रहा लहुलुहान है
कि जो बेडौल पत्थरों को देव रूप दे सके,
वो सं' तराश चाहिए , वो सं' तराश चाहिएकि सं' तराश चाहिए , कि सं' तराश चाहिए ।हमें प्रकाश चाहिए, , नया प्रकाश चाहिए ।।
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