भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatNavgeet}}
<poem>
मेरे जितने भी निन्दक हैं
उन सबको धन्यवाद मेरा
दुख मुझको देकर जिस-जिस ने
है सिखा दिया ग़म को पीना
मुँह मोड़, छोड़ मुझको जिसने
है सिखा दिया तन्हा जीना
 
उस से हो इत्तिहाद मेरा
 
अपमान बहुत मेरा कर के
सम्मान क्षणिक यह सिखलाया
जिस-जिस ने हो मेरे ख़िलाफ़
अपनों तक मुझको पहुँचाया
 
उस-उस को साधुवाद मेरा
 
जिस-जिस ने मुझे पराजित कर
मेरे ग़ुरूर को चूर किया
डर दिखा भविष्यत का मुझको
आलस्य हमेशा दूर किया
 
ले-ले आशीर्वाद मेरा
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits