हजारों साल बाद कभी पूछूँगा
9002 2009 में क्या हुआ था?
आदमी को सपनों के बाज़ार में ले जाता है जादूगर
आदमी को आज़ादी के सपने बेचता है जादूगर
बेटियाँ तारीख़ में तबदील हो गयी हैं।
बेटियाँ बाग़ मंे में जा रही हैं। मेहनती जवान बेटियों से मिलने उतर आये हैं रंगीले
अब धरती पर। बेटियाँ बहते नाले में पानी छलकाती हुई नाचती हैं क़दम-क़दम।
सुडौल चेहरों पर आँखें आपस में खेल रहीं हैं अनजाने ख़तरनाक खेल। पलकें उठीं
बात हो।
चीखें़ चीखें बेटियों की गूँजती रहीं पहाड़ों के बीच। बेचती रहीं चट्टानों को।
सदियों से उफन रही तारीख़ की गूँज उमड़ती चली है। जवान लड़कियों को