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क्या पता कौन कहाँ मरता है
शब्दों के ग़लत इस्तेमाल से।
 
सीखो शब्दों को सही-सही
शब्द जो बोलते हैं
और शब्द जो चुप होते हैं
 
अकसर प्यार और नफ़रत
बिना कहे ही कहे जाते हैं
इनमें ध्वनि नहीं होती पर होती है
बहुत घनी गूँज
जो सुनाई पड़ती है
धरती के इस पार से उस पार तक
 
व्यर्थ ही कुछ लोग चिन्तित हैं कि नुक़ता सही लगा या नहीं
कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि कौन कह रहा है देस देश को
फ़र्क़ पड़ता है जब सही आवाज़ नहीं निकलती
जब किसी से बस इतना कहना को
कि तुम्हारी आँखों में जादू है
फ़र्क़ पड़ता है जब सही न कही गई हो एक सहज सी बात
कि ब्रह्माण्ड के दूसरे कोने से आया हूँ
जानेमन तुम्हें छूने के लिए।
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