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शब्द / अनुक्रमणिका / नहा कर नही लौटा है बुद्ध

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जैसे चाकू होता नहीं हिंस्र हमेशा
शब्द नहीं होते अमूर्त हमेशा

चाकू का इस्तेमाल करते हैं फलों को छीलने के लिए
आलू गोभी या इतर सब्ज़ियाँ काटते हैं चाकू से ही
कभी-कभी ग़लत इस्तेमाल से चाकू बन जाता है स्क्रू ड्राइवर या
डिब्बे खोलने का यन्त्र
चाकू होता है मौत का औज़ार हमलावरों के हाथ
या उनसे बचने के लिए उठे हाथों में

कोई भी चीज़ हो सकती है निरीह और खू़ँखार
पुस्तक पढ़ी न जाए तो होती है निष्प्राण
उठा कर फेंकी जा सकती है किसी को थोड़ी सही चोट पहुँचाने के लिए
बरतन जिसमें रखे जाते हैं ठोस या तरल खाद्य
बन सकते हैं असरदार जो मारा जाए किसी को

शब्द भी होते हैं ख़तरनाक
सँभल कर रचे कहे जाने चाहिए
क्या पता कौन कहाँ मरता है
शब्दों के ग़लत इस्तेमाल से।

सीखो शब्दों को सही-सही
शब्द जो बोलते हैं
और शब्द जो चुप होते हैं

अकसर प्यार और नफ़रत
बिना कहे ही कहे जाते हैं
इनमें ध्वनि नहीं होती पर होती है
बहुत घनी गूँज
जो सुनाई पड़ती है
धरती के इस पार से उस पार तक

व्यर्थ ही कुछ लोग चिन्तित हैं कि नुक़ता सही लगा या नहीं
कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि कौन कह रहा है देस देश को
फ़र्क़ पड़ता है जब सही आवाज़ नहीं निकलती
जब किसी से बस इतना कहना को
कि तुम्हारी आँखों में जादू है
फ़र्क़ पड़ता है जब सही न कही गई हो एक सहज सी बात
कि ब्रह्माण्ड के दूसरे कोने से आया हूँ
जानेमन तुम्हें छूने के लिए।