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{{KKRachna
|रचनाकार=लाल्टू
|अनुवादक=
|संग्रह=नहा कर नही लौटा है बुद्ध / लाल्टू
}}
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<poem>
पहुँचूँगा
दरवाजे़ पर खड़ी होगी वह
मुस्कान में उसकी
थकान पिघलेगी
पिघलेगी पिघलेगी पिघलेगी।

</poem>
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