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06:46, 22 जनवरी 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लाल्टू
|अनुवादक=
|संग्रह=नहा कर नही लौटा है बुद्ध / लाल्टू
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
पहुँचूँगा
दरवाजे़ पर खड़ी होगी वह
मुस्कान में उसकी
थकान पिघलेगी
पिघलेगी पिघलेगी पिघलेगी।
</poem>