1,032 bytes added,
04:46, 25 जनवरी 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हस्तीमल 'हस्ती'
|संग्रह=प्यार का पहला ख़त / हस्तीमल 'हस्ती'
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
वो भी चुपचाप है इस बार, ये किस्सा क्या है
तुम भी ख़ामोश हो सरकार, ये किस्सा क्या है
स़िर्फ ऩफरत ही थी मेरे लिए जिनके दिल में
हो गए वे भी तऱफदार, ये किस्सा क्या है
सामने कोई भँवर है न तलातुम फिर भी
छूटती जाए है पतवार, ये किस्सा क्या है
बैठते जब हैं खिलौने वे बनाने के लिए
उनसे बन जाते हैं हथियार, ये किस्साक्या है
</poem>