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{{KKRachna
|रचनाकार=हस्तीमल 'हस्ती'
|संग्रह=प्यार का पहला ख़त / हस्तीमल 'हस्ती'
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
किस पे ये ग़म असर नहीं करते
]िफा लेकिन शजर नहीं करते
हम बदलते नहीं हवा के साथ
हम पे मौसम असर नहीं करते
एक सूरज बहुत ज़रूरी है
चाँद - तारे सहर नहीं करते
उन गुलों में महक नहीं आती
खारों में जो बसर नहीं करते
रोने का भी सलीका होता है
अपने दामन को तर नहीं करते
</poem>
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|संग्रह=प्यार का पहला ख़त / हस्तीमल 'हस्ती'
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किस पे ये ग़म असर नहीं करते
]िफा लेकिन शजर नहीं करते
हम बदलते नहीं हवा के साथ
हम पे मौसम असर नहीं करते
एक सूरज बहुत ज़रूरी है
चाँद - तारे सहर नहीं करते
उन गुलों में महक नहीं आती
खारों में जो बसर नहीं करते
रोने का भी सलीका होता है
अपने दामन को तर नहीं करते
</poem>