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|रचनाकार=हस्तीमल 'हस्ती'
|संग्रह=प्यार का पहला ख़त / हस्तीमल 'हस्ती'
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<poem>
हँसती गाती तबीयत रखिए
बच्चों वाली आदत रखिए

शोला, शबनम, शीशे जैसी
अपनी कोई फ़ितरत रखिए

हँसी, शरारत, बेपरवाही
इनमें अपनी रंगत रखिए

छेड़-छाड़ और धींगामस्ती
करने को भी फ़ुरसत रखिए

भरे-भरे मानी की ख़ातिर
कभी-कभी कोरा ख़त रखिए

काम के इंसां हो जाओगे
हम जैसों की सोहबत रखिए
</poem>