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|रचनाकार=हस्तीमल 'हस्ती'
|संग्रह=प्यार का पहला ख़त / हस्तीमल 'हस्ती'
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<poem>
स़ाफगोई की अदा इक हद तलक
ये अदाकारी निभा इक हद तलक

सब के सब हैं बेख़बर ख़ुद से यहाँ
सबको है अपना पता इक हद तलक

प्यार की दुनिया वो दुनिया है जहाँ
फ़र्ज़ होता है अदा इक हद तलक

काम आती है बस अपनी रौशनी
साथ देता है दिया इक हद तलक

भूल मत `हस्ती' बुज़ुर्गों की दुआ
काम आती है दवा इक हद तलक
</poem>