Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हस्तीमल 'हस्ती' |संग्रह=प्यार का...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हस्तीमल 'हस्ती'
|संग्रह=प्यार का पहला ख़त / हस्तीमल 'हस्ती'
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
ज़ुल्म का सामना करे कुछ तो
आदमी-आदमी लगे कुछ तो

फ़ासले जितने भी जिए, उनमें
मन के ही थे गढ़े हुए कुछ तो

जिनको क़तरा लगे है दरिया सा
बादलों उनकी सोचिए कुछ तो

वक़्त का भी नहीं हो ख़ौफ जिन्हें
ऐसे हों अपने फ़ैसले कुछ तो

वो मुसाफ़िर ही क्या जो ये सोचे
साथ दें मेरा रास्ते कुछ तो
</poem>