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हमारे दिल में रह कर थक न जाएं / राज़िक़ अंसारी
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03:58, 27 जनवरी 2019
तुम्हारे ग़म यहाँ पर थक न जाएं
हमें तो ज़ख़्म खाने की
है
आदत
चला के लोग पत्थर थक न जाएं
द्विजेन्द्र द्विज
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