Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दरवेश भारती |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=दरवेश भारती
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
वो जो सबका सहारा लगता है
खुद में दरका किनारा लगता है

बो रहा है जगह, जगह जो बबूल
कोई फूलों का मारा लगता है

कोई महफ़िल से क्यों उठाता हमें
ये तेरा ही इशारा लगता है

अपनी माटी को लौटने वाला
शहरी हलचल से हारा लगता है

राज़े-दिल तुझसे क्यों कहें 'दरवेश'
तू भला क्या हमारा लगता है
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,612
edits